Wednesday, 16 May 2012

रणथम्भौर अभयारण्य का विस्तार हुआ तो शहरों को होगा नुकसान!


सवाई माधोपुर. राज्य एवं केन्द्र सरकार रणथंभौर अभयारण्य का दायरा बढ़ाने के लिए नित नई योजनाएं बना रही है। इस बार जिस योजना पर काम किया जा रहा है अगर उसे केन्द्र सरकार से मंजूरी मिली तो सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय का वर्तमान 70 प्रतिशत से अधिक आबादी वाला इलाका प्रतिबंधित क्षेत्र में शामिल हो जाएगा। इसी प्रकार खंडार उपखंड मुख्यालय का भी 75 प्रतिशत से अधिक आबादी क्षेत्र इसकी चपेट में आ जाएगा। वन एवं पर्यावरण के साथ वन्यजीवों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र का दायरा बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे  हैं। इसके लिए अभयारण्य की सीमा पर स्थित गांवों एवं कस्बों को इस में शामिल कर विस्थापन का काम किया जा रहा है। अब तक वन विभाग की नजर केवल छोटे छोटे गांवों एवं कस्बों पर ही थी, लेकिन इस बार विभाग सीधा सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय के 70 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले क्षेत्र को इस दायरे में शामिल करने की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही वन विभाग की नजर खंडार उपखंड मुख्यालय पर भी टिक गई है। 

दो बार वापस आ चुके हैं प्रस्ताव

रणथंभौर अभयारण्य के अधिकारियों से मशविरा किए बिना पूर्व में राज्य सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को  एक प्रस्ताव भेजा था। उक्त प्रस्ताव में रणथंभौर अभयारण्य के विस्तार के लिए एक नया वन ब्लाक 6बी बड़ी लाइन बनाने का आग्रह किया गया था। इस ब्लाक में वर्तमान में जहां 6ए बड़ी लाइन ब्लाक समाप्त होता है वहां से इस ब्लाक को शुरू करना था। वर्तमान में 6ए बड़ी लाइन ब्लाक रणथंभौर रोड पर होटल ओबेराय के पीछे समाप्त होता है। इससे आगे सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय की सीमा शुरू होने के कारण इसके चारो तरफ के पहाड़ किसी भी ब्लाक या आरक्षित क्षेत्र में शामिल नहीं है। अगर 6बी बड़ी लाइन ब्लाक को मंजूरी मिलती तो इस में ओबेराय होटल के पीछे समाप्त होने वाली सीमा से शुरू होकर सवाई माधोपुर की और पूरा रणथंभौर रोड, आईओसी प्लांट के पीछे का पहाड, रिको औद्योगिक क्षेत्र, फायरिंग बट, आलनपुर, विनोबा बस्ती होते हुए नीमली रोड, सीतामाता से बालास तक का पहाड़ इस में शामिल हो जाता। इसके शामिल होने के साथ ही सवाई माधोपुर शहर भी इस में शामिल हो जाता। क्यो की असली सवाई माधोपुर शहर पहाड़ों के बीच बसा हुआ है और उक्त सभी पहाड़ इसमें शामिल किए जाने के प्रस्ताव भेजे गए थे। इसी प्रकार खंडार उपखंड मुख्यालय पर स्थित तारागढ़ किले वाला पहाड़ भी इसी ब्लाक में शामिल किए जाने का प्रस्ताव था। पूरा खंडार कस्बा इसी पहाड़ के सहारे बसा हुआ है। इसी प्रकार बहरावंडा खुर्द, छाण, जैतपुर सहित कुछ छोटे गांवों को भी इस में शामिल करने की तैयारी थी, लेकिन केन्द्र सरकार को यह प्रस्ताव दो बार भेजने के बाद भी केन्द्र ने इसे नामंजूर कर दिया। 

नामंजूर करने का कारण

राज्य सरकार चाहती थी कि 6बी बड़ी लाइन का गठन होने के साथ ही इसके पांच सौ मीटर के दायरे में आने वाले पूरे इलाके पर ईको सेंसेटिव जोन संबंधित सभी नियम एवं प्रतिबंध लागू कर दिए जाए। दूसरी तरफ केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय चाहता था कि इसे मंजूरी देने से पहले राज्य सरकार यह लिख कर दे कि ईको सेंसेटिव जोन का दायरा पांच सौ मीटर के स्थान पर एक किमी होगा, लेकिन राज्य सरकार जानती है कि दायरा पांच सौ मीटर से एक किमी करते ही सवाई माधोपुर एवं खंडार अधिकांश भाग सहित कई गावों को नामोनिशान ही साफ हो जाएगा और वह बहुत 
अधिक हालात बिगाड़ देगा। इसी विरोधाभास के कारण विभाग ने दो बार नामंजूरी मिलने के बाद अब नया पैंतरा फेंका है। 

क्या है नया पैंतरा

विभाग को लग गया है कि केन्द्र सरकार नए ब्लाक को मंजूरी देने में अडंगा लगा रही है। इसके लिए विभाग ने इस बार नई योजना पर काम शुरू किया है। सब कुछ वही है बस थोड़ा सा रूप बदला है। विभाग इस बार 6बी ब्लाक का प्रस्ताव भेजने के स्थान पर 6बी ब्लाक में शामिल किए जाने वाले सभी पहाड़ों एवं आबादी वाले क्षेत्रों को 6ए बड़ी लाइन ब्लाक में ही शामिल करना चाहती है। विभाग चाहता है कि नया ब्लाक बनाने के स्थान पर इसी ब्लाक का विस्तार आगे तक कर दिया जाए और उसमें वे सभी पहाड़ शामिल कर लिए जाएं तो अब तक 6बी ब्लाक में शामिल करने की बात की जा रही थी। इससे केन्द्र सरकार को अडं़गा लगाने का मौका नहीं मिलेगा और विभाग अपनी मंशा में भी कामयाब हो जाएगा।

मंजूरी मिली तो क्या होगा

हर आदमी जानता है कि यहां ईको सेंसेटिव जोन में कई प्रकार के प्रतिबंध है। इसके तहत इस इलाके में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि, नया निर्माण, विकास के कार्य औद्योगिक विकास रोक दिए जाते हैं। इसे मंजूरी मिलते ही रणथंभौर रोड का एक बहुत बड़ा भाग, रीको औद्योगिक क्षेत्र रणथंभौर रोड, लगभग पूरा आलनपुर, विनोबा बस्ती, संपूर्ण पहाड़ के भीतर बसा सवाई माधोपुर शहर, नीमली रोड के कई गांव, अस्पताल तक का क्षेत्र, खंडार कस्बा, छाण, बहरावंडा खुर्द जैतपुर सहित कुछ दूसरे इलाके भी इसमें शामिल होने से यहां न तो कोई औद्योगिक गतिविधियों के लिए काम कर पाएंगे और न ही सरकार से इन इलाकों में विकास के लिए कोई काम हो सकेगा। इसी प्रकार किसी भी प्रकार का नया निर्माण करने से पहले वन विभाग से अनुमति भी लेनी होगी और वन विभाग उसके लिए इजाजत नहीं देगा क्यो की उक्त सभी स्थान ईको सेंसेटिव जोन में शामिल हो जाएंगे। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो सवाई माधोपुर एवं खंडार का पूरा वजूद खतरे में पड़ जाएगा और मजबूरी में लोगों के पास धीरे धीरे पलायन करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं होगा। 

साभार : सवाई माधोपुर भास्कर

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