सतपुड़ा रिजर्व में गणना के पहले दिन 15 बाघों की मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं। 42 डिग्री सेल्सियस की तपन से भरे दिन में 400 वनकर्मियों के 123 दल बाघों को खोजने गुरुवार सुबह 6 बजे से ही निकल गए थे। अपरान्ह 4 बजे तक इन दलों को इन बाघों की मौजूदगी यह सुराग रास्ते में बाघों के पंजे, पेड़ों पर निशान और विस्टा के नमूनों से मिले हैं।
1560 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले रिजर्व में इन बाघों के साक्ष्य धाई, बोरी, भारभूड, चूरना, मढ़ई, ढाबा क्षेत्र में पाए गए। इस खोज के दौरान बीटों में तेंदुआ, रीछ, लकड़बग्गा, सोन कुत्ते की मौजूदगी के निशान भी पाए गए। अभी दो दिन और बाघों की खोज की जाएगी। वर्ष 2011 की गणना के अनुसार 43 बाघ हैं।
इन साक्ष्यों को खोजा
बाघ व अन्य प्राणियों के पग मार्क, जमीन व पेड़ों पर बाघ के पंजे की खरोच, विस्टा व गंध मार्किंग, शिकार को मारने का तरीका, जमीन में लोट लगाने की स्थिति, आवाज, प्रत्यक्ष दर्शन के आधार पर क्षेत्र में बाघ होने के सबूत तलाशे।
आगे यह होगा
पद मार्क के आधार पर जुटाए गए आंकड़ों को डब्ल्यूआईआई देहरादून भेज दिया जाएगा। विशेषज्ञ साक्ष्यों के आधार पर बाघों की सही संख्या का अनुमान निकालेंगे। इसमें तकरीबन आठ माह लगेंगे।
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