उमरिया। यहां बांधवगढ़ के वन्य ग्राम रोहनिया के पास एक साहसी युवक ने खूंखार बाघ से निहत्थे 15 मिनट तक जंग लड़ी और अंतत: उसके जबड़े से अपनी पत्नी को जीवित बचा लिया। युवक तिलकराज की घायल पत्नी गीताबाई को उपचारार्थ उमरिया चिकित्सालय में भर्ती किया गया है जबकि तिलकराज खुद पूरी तरह सुरक्षित है। गीताबाई को उस समय बाघ ने अपने जबड़े में दबोच लिया था जब वह तेंदू पत्ता तोड़ रही थी। पास ही प ा तोड़ रहे तिलकराज ने जैसे ही अपनी पत्नी को बाघ से हमला होते देखा वह दौड़ लगाकर निहत्थे ही बाघ पर पिल पड़ा।
घटनाक्रम के बारे में मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के ग्राम रोहनिया निवासी तिलकराज तथा उसकी पत्नी गीताबाई अन्य लोगों के साथ जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे। गुरुवार को सुबह करीब ९ बजे वह तेंदु पत्ता तोड़ते-तोड़ते गीताबाई साथियों से अलग दिशा की ओर चली गई। सामने एक बाघ झुरमुट में छिपा बैठा था। जिसे महिला देख नहीं पाई। बाघ ने अचानक छलांग लगाई और गीताबाई के गले में जबड़ा गड़ाकर उसे पंजों में दबोच लिया।
निहत्थे भिड़ा बाघ से
अस्पताल में पत्नी का इलाज करा रहे तिलकराज ने बाघ से भिड़ने का जो हाल बताया वह कम रोमांचकारी नहीं था। उसने बताया कि जब बाघ ने छलांग लगाकर उसकी पत्नी को जबड़ों और पंजों में जकड़ा तो वह बिना कुछ सोचे-समझे बाघ से जा भिड़ा। इस वक्त उसके पास डण्डा तक नहीं था। उस समय उसके मन में यही था कि पत्नी को बचाना है। पहले तो उसने गीता का पैर पकड़कर खींचा, लेकिन बाघ की पकड़ काफी मजबूत थी। उसके बाद उसने बाघ के शरीर पर लात और घूंसों से वार करना शुरु कर दिया।
18 मई 2012, दैनिक भास्कर, जबलपुर

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