Friday, 25 May 2012

कलियासोत के बाघों को शिकारियों से खतरा


भोपाल. वन विभाग ने बाघों की सुरक्षा को लेकर भले ही अलर्ट जारी कर दिया हो, लेकिन भोपाल वन मंडल इस पर गंभीर नहीं है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समरधा रेंज में बाघ की मॉनिटरिंग के लिए केवल 20 कर्मचारी लगाए गए हैं। वो भी कहीं वन महोत्सव की तैयारियों में जुटे हैं तो कोई तेंदूपत्ता तुड़ाई में। कलियासोत-केरवा क्षेत्र में पर्यटक बेरोकटोक घूम रहे हैं।

गौरतलब है कि बाघ की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने प्रदेश के सभी नेशनल पार्क और सेंक्चुरी में अलर्ट जारी किया है। कलियासोत और केरवा में सक्रिय बाघों की सुरक्षा के लिए 20 लोगों की टीम बनाई गई है, जो बाघों की निगरानी के लिए पर्याप्त नहीं है। वहीं समरधा रेंज की वन समिति और मुखबिर तंत्र भी निष्क्रिय है। संदिग्ध रूप से घूमने वालों को रोकने टोकने वाला भी कोई नहीं है। सूत्रों का कहना है कि बाघों की सुरक्षा के लिए लगे गश्ती दल के पास वाहन तक नहीं है।

भोपाल फॉरेस्ट सर्कल के सीसीएफ एसएस राजपूत का कहना है कि रातापानी अभयारण्य से माइग्रेट होकर आए बाघ-बाघिन और शावकों की सुरक्षा के लिए दूसरे रेंज के कर्मचारियों को लगाया गया है। उनका मानना है कि जिस तरह की सुरक्षा के संसाधन टाइगर रिजर्व और सेंक्चुरी में हैं, उतने समरधा रेंज में नहीं हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दे दी गई है। उनका कहना है कि अपर्याप्त संसाधन के बावजूद वन अमला बाघ व बाघिन और शावकों पर सतत निगरानी रखे हुए है।

ये होना चाहिए इंतजाम 

विशेषज्ञों का कहना है कि चार बाघों की सुरक्षा के लिए और उनके मूवमेंट पर निगरानी रखने के लिए कम से कम दस-दस वन कर्मचारियों की पांच टीम होनी चाहिए। यह टीम केवल टाइगर की मॉनिटरिंग का काम करे। गश्ती दल के मूवमेंट के लिए वाहन, कैमरे, नाइट विजन कैमरा, नाइट विजन दूरबीन सहित बजट होना जरूरी है।

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