जबलपुर. बांधवगढ़ में बाघिन की हुई मौत के बाद से वन विभाग के ड्रायवर मानसिंह को अवैध रूप से बंधक बनाए जाने को लेकर उसकी पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। वैकेशन बैंच के जस्टिस केके लाहोटी और जस्टिस आरसी मिश्रा की युगलपीठ ने मामले को संजीदगी से लेते हुए याचिकाकर्ता के पति को गुरुवार को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।
उमरिया जिले के इंदवार थानांतर्गत ग्राम कसेरू में रहने वाली नीतू बाई की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि उसके पति मान सिंह उमरिया के वन विभाग में ड्रायवर के पद पर कार्यरत हैं। आवेदक का कहना है कि 18 मई को उमरिया जिला पंचायत के सीईओ, रेंज ऑफीसर व अन्य की टीम बांधवगढ़ नेशनल पार्क में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत हुए कामों का निरीक्षण करने के लिए गई।
दो वाहनों में से एक वाहन याचिकाकर्ता का पति मानसिंह चला रहा था। निरीक्षण के बाद दोनों ही वाहन पार्क से बाहर आ गए। याचिका के अनुसार 19 मई की सुबह जब मानसिंह रेंज ऑफीसर का वाहन चला रहा था, तभी वायरलैस पर उन्हें (रेंज ऑफीसर को ) सूचना दी गई कि एडीशनल डायरेक्टर ने उन्हें तलब किया है। उसके बाद सारे अधिकारियों के साथ मानसिंह भी जंगल में गया और वहां पर बाघिन का शव बरामद किया गया।
बाघिन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उसकी मौत किसी वाहन की टक्कर से हुई है। मीडिया में इस मामले के जमकर उछलने पर तत्काल जांच शुरु हुई और प्रशासनिक अधिकारियों ने मानसिंह व अन्य के बयान दर्ज किए।
याचिका में आरोप है कि 24 मई को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर सीके पाटिल ने मानसिंह को बुलाया और तभी से वो और अन्य अधिकारी उसे बंधक बनाकर रखे हुए हैं। बिना किसी कारण के पति को बंधक बनाए जाने पर आवेदक ने उच्च अधिकारियों से कई शिकायतें कीं, लेकिन फिर भी उसे रिहा न किए जाने पर यह मामला हाईकोर्ट में दायर किया गया।
मामले पर आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शशांक शेखर और राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता दीपक अवस्थी हाजिर हुए। मामले पर जवाब पेश करने के लिए श्री अवस्थी ने कुछ समय प्रदान करने की प्रार्थना की, जो युगलपीठ ने स्वीकार की। इसके साथ ही युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के पति मानसिंह को 17 जून को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए।
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