Friday, 4 June 2010

बाघ को 20 जिप्सियों ने घेरा

जबलपुर. कान्हा नेशनल पार्क के श्रवण ताल में सुकून से बैठे बाघ पर एक टूरिस्ट की नजर पड़ते ही कुछ पल में वहां का नजारा बदल गया। दखदनदांजी भांपकर बाघ ने तालाब छोडने का मन बनाया लेकिन बाघ के आगे बढते ही एक के बाद एक करके पहुंची 20 जिप्सियों ने उसे को घेर लिया।

करीब आधा घंटे बाद दो वाहनों के बीच से बाघ को रास्ता मिला। भले ये रोजाना के हालात हो लेकिन हालकि में बांधवगढ़ की घटना के बाद भी अन्य पार्को मंे सुधार नजर नही आया है। बाघ के दिखते ही वाहनों की फर्राटा कोई नई बात नही। कान्हा रेंज में आज फिर ऐसे हालात बने।

सुबह-सुबह प्यास बाघ बुझाने श्रवण ताल पहुंचा तो पर्यटकों का झुण्ड भी आ गया। लेकिन बाघ ने कुछ देर में ही इंसानी मौजूदगी भाप ली और वहां से निकले तालाब से बाहर आ गया। सुबह करीब 7:30 बजे के इस घटनाक्रम में अहम बात यह है कि कुछ देर में ही चारो तरफ से पहुंची करीब 20 जिप्सियों ने ऐसे कोई रास्ता नही छोड़ा जिससे बाघ भीतरी हिस्से में जा सके। वाहनों में सवार एक सैकडा से अधिक पर्यटकों ने अपने-अपने तरह से इस क्षण का रोमांच महसूस किया। प्राय: हर तरफ से घिरे बाघ को करीब 25 मिनिट बाद रास्ता मिला वो भी दो वाहनों के बीच से..।

No comments: