भोपाल। वन मंडल भोपाल के कठोतिया गांव में दो बाघों की मौत के बाद वन विभाग सतर्क हो गया है। विभाग ने अब समरधा, कठोतिया और रातापानी डिवीजन के मैदानी अमले को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है। कान्हा नेशनल पार्क से आई एक्सपर्ट टीम मैदानी अमले को प्रशिक्षण दे रही है। टीम रेंजों में घूम रहे तीन बाघों की सतत निगरानी कर यह पता लगा रही है कि बाघ कहां घूम रहे हंै। वहीं, पांच जून को शिकार हुए बाघ के शिकार के लिए बनाई गई जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। भोपाल से महज 20 किमी की दूरी पर घूम रहे तीन बाघों की कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था कर दी गई है। भोपाल, सिहोर और रायसेन वन मंडल में गश्ती दल बनाए गए हंै। इसमें एक डिवीजन में तीन-तीन गश्ती दल का गठन किया गया है। यह दल सुबह दोपहर और रात को अलग-अलग समय पर गश्त करेंगे। एक गश्ती दल में एक चार की गार्ड होगी। दल का नेतृत्व डिप्टी रेंज रेंक का अधिकारी करेगा।
हर गश्ती दल को देना होगी रिपोर्ट: वन विभाग ने अब हर गश्ती दल की जिम्मेदारी तय कर दी है। हर दल को अपनी रिपोर्ट बनाकर डीएफओ को देना होगी। गश्ती दलों को एक रेंज से दूसरी रेंज में बाघ के आने-जाने की सूचना तुरंत एक-दूसरे को देनी होगी। इससे अब किसी भी रेंज के अधिकारी यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकेंगे कि बाघ का शिकार या हादसा उनके रेंज में नहीं हुआ है।
पांच जून को कठोतिया रेंज में हुए बाघ के शिकार की जांच रिपोर्ट मंगलवार को शासन को सौंप दी गई है। जांच में वहीं बिंदु डाले गए है जो प्रारंभिक रिपोर्ट में दिए गए थे। जांच में बताया गया है कि बाघ की मौत करंट लगने से हुई है। यह एक हादसा है। इस हादसे को अंजाम देने वाले सभी आरोपी जेल में हैं। शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के बारे में प्रयत्न संस्था के सदस्य अजय दुबे, वन्य प्राणी प्रेमी संजय दुबे और प्रलय बागची ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन को पत्र लिखकर मामले की फिर से जांच करने की मांग की है। उनका कहना है कि जिस वन मंडल में बाघ का शिकार हुआ है, उन्हें ही जांच कमेटी का सदस्य बना दिया गया है।
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