मप्र में शिव के राज में बाघ और उसके परिवार के सदस्य कुत्तों की तरह दम तोड़ रहे हैं और सरकार खामोश है। हद है मुख्यमंत्री जी। वन मंडल भोपाल के कठोतिया रेंज में 19 सितंबर को गड्ढे में गंभीर रूप से घायल मिले बाघ शावक की सोमवार तड़के मौत हो गई। पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. अतुल गुप्ता का कहना है कि शावक के शरीर के पिछले हिस्से में चोटें कैसे लगी, इसकी विस्तृत जांच के लिए विसरा जबलपुर, बरेली और देहरादून की फॉरेंसिक लैब भेज दिया गया है।
गौरतलब है कि कठोतिया के जंगल में ही पांच जून को एक बाघ का करंट लगाकर शिकार किया गया था। कहीं पकड़ न जाए इसलिए बाघ को दो भागों में काट दिया गया था। इस मामले को भी वन विभाग ने हादसा बताया था।
सरकारी रिपोर्ट में टोक्सिमिया वजह
पोस्टमार्टम से खुलासा हुआ है कि उसकी मौत टोक्सिमिया की वजह से हुई है। इसके साथ ही उसके शरीर के पिछले हिस्सों में लकवा लगने का कारण अंदरूनी चोटें हैं।
...लेकिन, आशंका शिकार की
वन विहार प्रबंधन और इलाज करने वाले डॉक्टर के अनुसार घायल शावक को जब गड्ढे से बाहर निकाला गया था तब उसके शरीर पर अंदरूनी चोटों के निशान भी थे। लंबी दूरी तक घिसटने के कारण उसके दोनों पैरों में गंभीर घाव भीहो गए थे। पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) पीके शुक्ला ने भी शावक की हालत को देखकर शिकार की आशंका जताई थी।
सवाल यह भी है
बाघ आठ दिन से घायल था तो गश्ती दल क्या कर रहा था? घायल अवस्था में शावक को वन विहार लाया गया तो राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण को सूचना क्यों नहीं दी गई? पोस्टमार्टम में फॉरेंसिक एक्सपर्ट एबी श्रीवास्तव और मेडिकोलीगल के विशेषज्ञ डॉ. सत्पथी को क्यों नहीं बुलाया गया?बाघ के संबंध में हादसे हर बार कठोतिया में ही क्यों हो रहे हैं?
दैनिक भास्कर के साभार से

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