Monday, 3 September 2012

रणथंभौर पर्यटन जगत में सन्नाटा


हर साल एक अक्टूबर से रणथंभौर अभयारण्य में पर्यटन शुरू हो जाता है। अगस्त के मध्य से ही यहां के होटलों एवं पर्यटन से जुड़े लोग नए सत्र के लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं। इन तैयारियों के लिए बड़ी संख्या में लोग बाहर से आते हैं और यहां के श्रमिकों को साथ ले कर जरूरी काम को पूरा करते हैं, लेकिन इस बार न तो होटलों में तैयारियां दिखाई दे रही हैं और न ही देश विदेश के पर्यटकों के लिए वाहन एवं होटलों की एडवांस बुकिंग की जा रही है। इस बार रणथंभौर में पर्यटन होगा या नहीं, इस बारे में कोई नहीं जानता है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर निर्भर होने के कारण सभी मायूस हैं। जिस समय होटलों एवं पर्यटन से जुड़े लोगों की भाग दौड़ और तैयारियां तेज हो जाती थी उस समय यहां सन्नाटा दिखाई दे रहा है।

वापस लिया वाहनों का पैसा 

रणथंभौर में नेचर गाइड के रूप में वर्षों से सेवा दे रहे यादवेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार हालात खराब है। लोगों ने नए सत्र के लिए पहले से ही वाहन बुक करवा दिए थे। इनमें लगभग 60 जिप्सी और 50 से अधिक केंटरों के लिए विभिन्न कंपनियों में पैसा जमा हो चुका था, लेकिन ज्यों ही सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई की तारीख 27 सितंबर तय की, लोगों ने वाहनों के लिए दिया एडवांस पैसा वापस ले लिया। लोगों को डर है कि अगर 27 सितंबर को भी पर्यटन की इजाजत नहीं मिली तो वे लाखों रुपए के नए वाहन खरीदने के कारण बर्बाद हो जाएंगे।

कैंसिल हो रही है एडवांस बुकिंग 

पर्यटन सत्र के लिए बुकिंग का काम महीनों से चल रहा था। अधिकांश होटल मालिक एवं ट्रेवल एजेंट अप्रैल 2013 तक की बुकिंग का काम पूरा कर चुके थे, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने एवं कोई सकारात्मक निर्णय नहीं आने का संदेश विदेशों में जाते ही पर्यटकों ने अपनी बुकिंग कैंसिल करवाना शुरू कर दी है। रणथंभौर एडवेंचर ट्यूर के अनुसार उनके द्वारा की गई बुकिंग में से अब तक 80 प्रतिशत से अधिक बुकिंग को निरस्त करने के आदेश मिल चुके हैं। अभी बुकिंग निरस्त होने का क्रम जारी है।

होटलों में खामोशी 

होटल मालिक कैलाश मीणा के अनुसार यहां के किसी भी होटल में तैयारी तो दूर साफ सफाई का भी काम शुरू नहीं हुआ है। अब से पहले सितंबर शुरू होते ही रंग रोगन एवं फर्नीचर को ठीक करने का काम शुरू हो जाता था। बाजार में पेंट के व्यापारी के अनुसार इस बार होटलों से रंग की मांग नहीं आने के कारण वे परेशान हैं। एक करोड़ का रंग बिक जाता था। इस बार स्टाक पड़ा हुआ है।

मॉडल कंडीशन का अड़ंगा 

रणथंभौर में चलने वाले वाहनों की माडल कंडीशन को लेकर हमेशा विवाद रहा है। कभी पांच साल तो कभी चार साल की माडल कंडीशन से यहां के सभी वाहन मालिक हमेशा परेशान रहे हैं। इस बार रणथंभौर में पर्यटन होगा या नहीं यह अभी कोई नहीं जातना है, लेकिन वन विभाग ने अडंग़ेबाजी अभी से शुरू कर दी है। वाहन मालिकों का कहना है कि गत वर्ष रणथंभौर में न्यायालय के आदेश से पांच साल की माडल कंडीशन रखी थी, लेकिन इस बार वन विभाग अपने टेंडर में वापस चार साल की मॉडल कंडीशन रख रहा है।

नेचर गाइडों पर भी लटकी तलवार 

वन विभाग कब क्या करेगा इस बारे में कोई नहीं जानता, जो भी अधिकारी आता है वह कुछ भी कर जाता है और उसका खामियाजा भुगतते है यहां के लोग। नेचर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह के अनुसार पिछले कई दशकों से यहां पर्यटक वाहनों के साथ जाने वाले पर्यटक गाइडों पर वन विभाग ने नया अड़ंगा लगा दिया है।विभाग ने तय किया है कि सभी पर्यटक गाइडों की परीक्षा होगी और परीक्षा पास करने वाले गाइडों का साक्षात्कार लिया जाएगा। जो इसे पास करेगा वह रणथंभौर में पर्यटक वाहनों के साथ जा सकेगा। इससे लोगों में भय है।

प्रशिक्षण का विरोध 

रणथंभौर नेचर गाइड्स एसोसिएशन की बैठक रणथंभौर रोड स्थित अंकुर होटल में हुई। सचिव शकिर अली ने बताया कि दस सितंबर को होने वाली लिखित, मौखिक परीक्षा के बारे में चर्चा की गई। बैठक में सर्व सम्मति से सभी नेचर गाइड्स ने निर्णय लिया कि उक्त प्रक्रिया का बहिष्कार किया जाएगा। इस संबंध में एसोसिएशन अध्यक्ष शरद कुमार शर्मा ने बताया कि उक्त प्रक्रिया गाइड लाइन 2011-12 के अनुरूप नहीं है और न ही उक्त प्रक्रिया के बारे में नेचर गाइड्स से किसी प्रकार का विचार विमर्श किया गया।

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