पन्ना नेशनल पार्क से पूरी तरह गायब हुए बाघों के मामलों की जांच अब पुलिस करेगी। इसके लिए सागर पुलिस महानिरीक्षक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। वन विभाग ने इस मामले में सीबीआई जांच कराने से इंकार कर दिया है।
मप्र वन विभाग ने पन्ना नेशनल पार्क से पूरी तरह गायब हो चुके बाघों की जांच सीबीआई से कराने से इंकार कर दिया है। अब वन विभाग इसकी जांच पुलिस से कराएगा। बाघों के गायब होने के कारणों की जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक सागर जोन की अध्यक्षता में समिति गठित करने के निर्देश जारी हो गए है। इधर, बाघों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली स्वयं सेवी संस्थाओं का कहना है कि वन विभाग दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए पुलिस से जांच रहा है, जबकि यह मामला बाघों की अंतरराष्ट्रीय तस्करी से जुड़ा है।
एनवायर एक्शन ग्रुप प्रयत्न के अध्यक्ष अजय दुबे का कहना है कि इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने भी सीबीआई जांच करने की सिफारिश की थी लेकिन मप्र वन विभाग ने उनकी सिफारिश को मानने से इंकार कर दिया जबकि यह एक दो बाघ नहीं बल्कि 35 बाघों का मामला है। वहीं टाइगर, इनिशिएटिव ग्रुप रिवाइवल के सदस्य पुष्पेंद्र नाथ के सदस्य का कहना है कि मप्र वन विभाग दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए ऐसा कर रहा है।
क्या था मामला
वर्ष 2007 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मप्र शासन को बाघों की संख्या कम होने पर सीबीआई जांच कराने की बात कही थी। उसके बाद 2009 में प्राधिकरण ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि पन्ना पार्क से पूरी तरह बाघ गायब हो चुके है। वहीं राज्य शासन ने भी एक समिति गठित कर पन्ना से बाघ गायब होने की पुष्टि की। उसके बाद प्राधिकरण ने इसके कारण का पता लगाने की सीबीआई जांच करने की पुन: सिफारिश की। गृह विभाग ने वन मंत्री सरताज सिंह से पन्ना पार्क से गायब हुए बाघों के संबंध में सबूत मांगे ताकि सीबीआई जांच में वे सबूत काम आ सके। फरवरी 2012 में वन विभाग के पास सभी सबूत आ गए। सबूतों को देखने के बाद वन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एमएन राय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच की बात कही थी।
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