Friday, 22 June 2012

जंगल में नर बाघ की आवाज सुनाकर खोज रहे हैं बाघिन को

कोटा. सुल्तानपुर के जंगलों में 30 माह से भटक रही टी-35 बाघिन की तलाश में रोचक तरीके इस्तेमाल किए जा रहे है। पुराने समय में राजा-महाराजा बकरी बांधकर उसे लुभाते थे लेकिन अब देहरादून से आई वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की टीम उसे नर बाघ की आवाज टेप बजाकर सुना रही है। 

टीम नर बाघ की यूरीन भी साथ लेकर आई है। रुई में लगाकर इसकी गंध (फेरोमोन) से बाघिन को आकर्षित करने का प्रयास हो रहा है। हालांकि इस टीम का यह तीसरा बड़ा अभियान भी निराशा की तरफ बढ़ चला है। दो दिन में टीम को केवल फुटप्रिंट ही मिले है। तय रणनीति के अनुसार शुक्रवार को अंतिम दिन तलाशी होगी। इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि रणथंभौर से भागकर आई टी-35 की तलाश में अब तक करीब 2 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके है। इस बाघिन को काबू में करने के लिए टीम दुनियाभर में इस्तेमाल किए जा रहे हर तरीके को इस्तेमाल कर रही है। पिछली बार की तरह चालाक बाघिन अंतिम समय में भाग न जाए इसलिए तलाशी में लगे वाहन पर जंगल के रंगों से मिलता-जुलता जाल भी लगाया गया है। इसी वाहन में टै्रंक्युलाइज करने वाली टीम छुपकर बैठी रहती है। 

जंगली बबूल बना मुसीबत

सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर आरएस शेखावत ने बताया कि बाघिन की टेरिटरी में जूलीफ्लोरा (जंगली बबूल)की तादाद अधिक है। बाघिन को हमारा मूवमेंट आसानी से पता चल जाता है और वह गायब हो जाती है। यहां नालों में पानी भरा है और जगह-जगह कंदराएं होने से भी तलाशी मुसीबत बनी हुई है।

50 से ज्यादा लोगों की टीम

इस बार तलाशी में लगी टीम में 50 से ज्यादा सदस्य शामिल है। इनमें प्रमुख रूप से वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के वेटनरी साइंस हैड डॉ. पी मलिक, डॉ. शंकर, सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर आरएस शेखावत, एसीएफ रंगलाल चौधरी, कोटा वाइल्ड लाइफ डीएफओ बीपी पारीक, डॉ. एके पांडे शामिल है। गुरुवार को इस टीम ने करीब 10 किमी का जंगल नापा।

Tuesday, 19 June 2012

दुनिया का पहला बाघ, जो पाल रहा है शावकों का


रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में सालभर के दौरान जो घटा है, वह हैरतअंगेज है। बाघिन टी-5 की मौत के बाद उसके दो शावकों को उनका पिता पाल रहा है। ये प्रजाति की परंपरा के विरुद्ध है। यदि बाघ अपने इलाके में दूसरे बाघ को देख ले तो हमला कर देता है। बाघिन न हो तो अपने बच्चे को मार ही देता है। नेटजियो और डिस्कवरी के मशहूर वाइल्डलाइफ डॉक्यूमेंट्री मेकर अजय सूरी बयां कर रहे हैं ये दिलचस्प कहानी...

दुर्लभ दुलार...

14 मार्च 2011 : रणथंभौर की कचीदा चौकी के पास लगे वन विभाग के कैमरे से चौंकाने वाली तस्वीर मिली। दोनों शावकों के साथ एक बाघ भी था। आशंका जताई जाने लगी कि कहीं उसने शावकों को मार ही न दिया हो। लेकिन दोनों शावक अपने पिता के साथ थे। यहां के मानद वाइल्डलाइफ वार्डन बालेंदुसिंह बताते हैं कि विशेषज्ञ तो मानने को तैयार ही नहीं थे कि कोई बाघ बच्चे को पाल रहा है। रणथंभौर में पिता के साथ घूमते शावकों का दृश्य अब आम है। शुरुआत में यह बाघ अपने शावकों की 24 घंटे रखवाली करते देखा जाता था। यदि कोई शावक उद्दंड होता तो इस गंभीर पिता के पंजे की हलकी-सी थपकार  उसे शांत करा देती। डेढ़ साल के युवा शावकों को अब किसी का खौफ नहीं। वे पिता के साथ पंजे घिसते हुए अपने इलाके की हद तय करते देखे जा सकते हैं।


दुर्लभ दृश्य...

जंगल में हर दिन एक नया दिन होता है। एक शावक भटककर नदी के किनारे पहुंचा। वहां तीन सौ मीटर की दूरी पर खड़ी एक अन्य बाघिन टी-17 पहले से मौजूद थी। वह हमले के लिए दबे पांव शावक की ओर बढऩे लगी। लेकिन तभी झाडिय़ों के बीच से शावक का पिता सामने आ गया। ये जताते हुए कि कोई उसके बच्चे की तरफ बुरी नजर से न देखे। बाघिन के पैंतरा बदलने में भी कुछ सेकंड ही लगे। जहां वह पहले बेहद आक्रामक थी, फिर वह उलझन में नजर आई और जल्द ही समर्पण के भाव में। आमने-सामने आकर दोनों करीब दस सेकंड तक एक-दूसरे को घूरते रहे और फिर अपने-अपने इलाके  की ओर लौट गए। राजस्थान के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन एसी चौबे कहते हैं कि जंगली जीवों के बारे में बहुत कुछ ऐसा है, जो इंसान के लिए जानना बाकी है।

Saturday, 9 June 2012

पन्ना से गायब बाघों की नहीं होगी सीबीआई जांच


पन्ना नेशनल पार्क से पूरी तरह गायब हुए बाघों के मामलों की जांच अब पुलिस करेगी। इसके लिए सागर पुलिस महानिरीक्षक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। वन विभाग ने इस मामले में सीबीआई जांच कराने से इंकार कर दिया है।

मप्र वन विभाग ने पन्ना नेशनल पार्क से पूरी तरह गायब हो चुके बाघों की जांच सीबीआई से कराने से इंकार कर दिया है। अब वन विभाग इसकी जांच पुलिस से कराएगा। बाघों के गायब होने के कारणों की जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक सागर जोन की अध्यक्षता में समिति गठित करने के निर्देश जारी हो गए है। इधर, बाघों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली स्वयं सेवी संस्थाओं का कहना है कि वन विभाग दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए पुलिस से जांच रहा है, जबकि यह मामला बाघों की अंतरराष्ट्रीय तस्करी से जुड़ा है।

एनवायर एक्शन ग्रुप प्रयत्न के अध्यक्ष अजय दुबे का कहना है कि इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने भी सीबीआई जांच करने की सिफारिश की थी लेकिन मप्र वन विभाग ने उनकी सिफारिश को मानने से इंकार कर दिया जबकि यह एक दो बाघ नहीं बल्कि 35 बाघों का मामला है। वहीं टाइगर, इनिशिएटिव ग्रुप रिवाइवल के सदस्य पुष्पेंद्र नाथ के सदस्य का कहना है कि मप्र वन विभाग दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए ऐसा कर रहा है।

क्या था मामला 

वर्ष 2007 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मप्र शासन को बाघों की संख्या कम होने पर सीबीआई जांच कराने की बात कही थी। उसके बाद 2009 में प्राधिकरण ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि पन्ना पार्क से पूरी तरह बाघ गायब हो चुके है। वहीं राज्य शासन ने भी एक समिति गठित कर पन्ना से बाघ गायब होने की पुष्टि की। उसके बाद प्राधिकरण ने इसके कारण का पता लगाने की सीबीआई जांच करने की पुन: सिफारिश की। गृह विभाग ने वन मंत्री सरताज सिंह से पन्ना पार्क से गायब हुए बाघों के संबंध में सबूत मांगे ताकि सीबीआई जांच में वे सबूत काम आ सके। फरवरी 2012 में वन विभाग के पास सभी सबूत आ गए। सबूतों को देखने के बाद वन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एमएन राय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच की बात कही थी।

कान्हा में बाघिन ने त्यागा शावक


कान्हा नेशनल पार्क में एक बाघिन ने दस माह तक शावक को पालने के बाद उसे त्याग दिया है। कान्हा नेशनल पार्क प्रबंधन ने शावक को विशेष बाड़े में रखा है। यह मादा शावक है और इसकी हालत नाजुक है। कान्हा नेशनल पार्क के डायरेक्टर जेएस चौहान ने बताया कि पार्क के कर्मचारियों को गुरुवार को एक शावक लावारिस स्थिति में दिखाई दिया। उस पर लगातार नजर रखने के बाद कर्मचारियों ने पाया कि बाघिन शावक के पास नहीं जा रही है। कर्मचारियों ने इसकी सूचना प्रबंधन को दी । शावक के शरीर पर घाव के निशान थे। कई दिनों से भूखा होने की वजह से वह बहुत कमजोर हो गया था। शावक की हालत देखने के बाद उसे बेहोश करके पकड़ा गया। उसे विशेष बाड़े में रखा गया है। पार्क के डाक्टर उसके स्वास्थ्य पर पूरी तरह नजर रखे हुए है। 

बाघिन और शावकों की बढ़ाई जाए सुरक्षा


भोपाल फॉरेस्ट सर्कल में बाघ के शिकार के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण अब बाघिन और उसके शावकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। प्राधिकरण ने शुक्रवार को बाघिन और उसके शावकों की हाई सिक्योरिटी के निर्देश जारी किए है।

प्राधिकरण द्वारा मप्र में बाघों को लेकर हाई अलर्ट जारी करने के बाद भी भोपाल फॉरेस्ट सर्कल के कठौतिया परिक्षेत्र में पांच वर्षीय बाघ का शिकार हो गया था। प्राधिकरण ने इसी क्षेत्र में मूवमेंट कर रही बाघिन और उसके शावकों की सुरक्षा के
लिए चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

प्राधिकरण का कहना है कि पहले भी वन विभाग को इसके लिए सचेत किया था कि उनके क्षेत्र में बाघ का शिकार हो सकता है, लेकिन सूचना को तवज्जो नहीं दी गई। प्राधिकरण के डायरेक्टर राजेश गोपाल का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने पीसीसीएफ पीके शुक्ला को निर्देश भेज दिए हैं।