Wednesday, 29 August 2012

वन विहार में सांप के काटने से मादा सिंह की मौत


भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में मादा सिंह लिली की मौत सांप के काटने से हो गई। इस बात का खुलासा शार्ट पीएम रिपोर्ट से हुआ है। वन विहार प्रबंधन इसे सामान्य मौत मान रहा है। प्रबंधन का कहना है कि लिली ने औसत आयु पूरी कर ली थी। वहीं, वन्य प्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश के किसी भी चिडिय़ाघर या नेशनल पार्क में सांप के काटने से किसी भी बाघ या सिंह की यह पहली मौत है।

वन विहार के सहायक संचालक डॉ. सुदेश बाघमारे के अनुसार मंगलवार सुबह वन विहार के कर्मचारी डिस्प्ले में बाड़े की ओर गए तो उन्हें लिली कहीं दिखाई नहीं दी। उन्होंने इनक्लोजर में देखा तो वह मृत अवस्था में मिली। लिली का पोस्टमार्टम किया गया तो उसकी शार्ट पीएम रिपोर्ट में मौत का कारण सर्प दंश बताया गया है। वहीं, वन्य प्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि वन्य प्राणी सांप के प्रति सजग होते हैं। यहां तक कि जहरीले प्राणियों के नजदीक होने पर वे वर्किंग अलर्ट भी देते हैं। इस तरह की घटना आज तक न तो नेशनल पार्कों और ना ही प्रदेश के किसी भी चिडिय़ा घर में सुनी गई। इस तरह की घटना अनोखी और प्रदेश की पहली घटना है।

विसरा भेजा गया फारेंसिक लैब 

बाघमारे ने बताया कि विस्तृत परीक्षण के लिये मादा सिंह के आंतरिक अंगों के सैम्पल आईवीआरआई इज्जत नगर, बरेली, सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ, जबलपुर एवं राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला, जहांगीराबाद, भोपाल भेजे गए हैं। वहीं पोस्टमार्टम के बाद मादा सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

Thursday, 23 August 2012

टाइगर रिजर्व : कोर एरिया में पर्यटन पर रोक बरकरार


सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में पर्यटन गतिविधियों पर लगाई गई रोक को हटाने से बुधवार को इनकार कर दिया। जस्टिस एके पटनायक और स्वतंत्र कुमार की बेंच ने बाघों की घटती संख्या पर कुछ सवाल भी उठाए। सरकार ने शीर्ष कोर्ट द्वारा 24 जुलाई को दिए रोक के आदेश पर पुनर्विचार की याचिका लगाई है। अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी। बेंच ने सरकारी वकील वसीम अहमद कादिरी से पूछा, 'आप बाघों को बचाने के लिए क्या करना चाहते हैं। पहले इनकी संख्या 13 हजार थी, अब 1200 रह गई है। आपको व्यावसायिक गतिविधियों की ज्यादा चिंता है।'

टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधियों पर रोक के आदेश के बाद दायर हलफनामे में सरकार ने बाघों के संरक्षण के मौजूदा दिशा निर्देशों की समीक्षा की अनुमति मांगी है। केंद्र ने इसमें राज्यों की चिंता का जिक्र किया है कि प्रतिबंध से स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित होगी जो पर्यटन पर निर्भर हैं। ऐसी स्थिति में वन्य जीवों के लिए खतरा हो जाएगा।

पचमढ़ी संघर्ष समिति के सदस्य संजय लेडवाणी ने बताया कि पर्यटक पहले यहां हफ्तेभर तक रुकते थे, लेकिन अब एक-दो दिन में ही वापस लौट रहे हैं।

यहां प्रवेश बंद : धूपगढ़, रम्यकुंड, बीफॉल, डचेज फॉल, अप्सरा विहार और टाइनम पूल।

यहां चालू : महादेव, पांडव गुफा, जटाशंकर, राजेंद्र गिरि, अंबामाई मंदिर, माड़ादेव, चौरागढ़, हांडी खो, प्रियदर्शिनीं।

Tuesday, 21 August 2012

सरिस्‍का में 12 दिन बाद अकेली दिखाई दी बाघिन


सरिस्का अभयारण्य में शावकों को जन्म देने बाद बाघिन एसटी-2 दूसरी बार रविवार को दिखाई दी। इस बार बाघिन अकेली थी। सरिस्का प्रशासन की ओर से जंगल में लगाए गए कैमरों ने बाघिन एसटी-2 की तस्वीरों को कैद किया। शावकों को जन्म देने के बाद बाघिन ज्यादातर समय जंगल में छुपकर बिता रही है।

सरिस्का अभयारण्य के कोर एरिया में काली घाटी जंगल में शावकों को जन्म देने के बाद बाघिन एसटी-2 की निगरानी बढ़ा दी गई। बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जंगल में जगह-जगह गुप्त कैमरे लगाए गए हैं। कैमरों द्वारा ली गई तस्वीरों की हर दिन जांच की जाती है। सोमवार को वनकर्मियों ने कैमरे के कार्ड की जांच की तो उसमें बाघिन एसटी-2 घूमती नजर आई। कैमरे ने यह फोटो रविवार शाम को ली । फोटो में बाघिन अकेली दिखाई दे रही है। इससे पहले 7 अगस्त की शाम को कैमरे ने ही बाघिन एसटी-2 व उसके एक शावक की फोटो कैद की थी। इस फोटो के जरिए ही सरिस्का में बाघिन के बच्चे देने की पुष्टि हुई थी। 7 अगस्त के बाद 19 अगस्त को बाघिन दिखाई दी है। इन 12 दिनों के दौरान बाघिन के पगमार्क तो मिल रहे थे लेकिन कैमरों में फोटो नहीं आ रही थी।

शावकों को शिकार की दे रही है ट्रेनिंग 

सरिस्का डीएफओ सेढूराम यादव का कहना है शावक होने के बाघिन काफी संवेदनशील हो जाती है। ज्यादातर समय शावकों को छुपाकर रखती है। बाघिन खुद भी सिर्फ शिकार के लिए ही बच्चों से अलग होती है। शिकार करने के बाद बच्चों को वह खाना खिलाने के लिए ही बाहर निकालती है।यही कारण है कि जन्म के कई महीनों तक शावकों को बारे में वनकर्मियों को पता नहीं लगता।

Friday, 10 August 2012

बाघिन एसटी-2 की बढ़ाई निगरानी



सरिस्का अभयारण्य में बाघिन एसटी-2 के शावकों को सुरक्षा देने के लिए वन विभाग ने क्षेत्र की निगरानी बढ़ा दी है। जंगल में इसके लिए जगह-जगह गुप्त कैमरे लगाए गए हैं। जिस क्षेत्र में बाघिन रह रही है वहां ग्रामीण व चरवाहों के जाने पर रोक लगा दी गई है।

सरिस्का अभयारण्य के काली घाटी क्षेत्र के स्लोपका जंगल में बाघिन एसटी-2 के साथ शावक का फोटो मिलने के बाद सरिस्का प्रशासन विशेष एहतियात बरत रहा है। बाघिन की दिन रात मॉनिटरिंग की जा रही है। स्लोपका जंगल में जगह-जगह गुप्त कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे क्षेत्र की हर गतिविधि को कैद कर रहे हैं।

फोटोग्राफ का विश्लेषण हो रहा है। जिस जगह बाघिन ने बच्चे दिए हैं उसके आसपास वनकर्मियों को गश्त के निर्देश दिए हैं। इससे कोई ग्रामीण बाघिन के नजदीक नहीं पहुंच सके। वन अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बाघिन उग्र हो सकती है। ऐसे में यदि कोई ग्रामीण बच्चों के नजदीक पहुंचता है तो वह हमला कर सकती है।