Wednesday, 25 July 2012

बाघों के कोर जोन में पर्यटकों पर रोक


सुप्रीम कोर्ट ने बाघ संरक्षित क्षेत्र में पर्यटन पर रोक लगा दी है। हालांकि, यह रोक अभी अंतरिम आदेश के तौर पर है। प्रतिबंध सिर्फ 'कोर जोन' के लिए ही है। मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्यों को बाघ अभयारण्यों के आसपास बफर जोन तय करने के लिए आखिरी मोहलत दी। तीन हफ्ते के भीतर आदेश तामील नहीं हुआ तो राज्यों पर अवमानना का केस चलेगा। साथ ही वन विभाग के प्रमुख सचिव पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ने पिछला आदेश नहीं मानने के लिए आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड पर 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया। झारखंड और अरुणाचल प्रदेश के वकील ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह इस बार समय पर काम पूरा कर लेंगे।

जस्टिस स्वतंत्र कुमार और इब्राहीम खलीफुल्ला की बेंच पर्यावरणविद अजय दुबे की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने 4 अप्रैल और 10 जुलाई को भी राज्यों से बफर जोन का इलाका तय करने के निर्देश दिए थे। मामले की सुनवाई 22 अगस्त को होगी। इसमें सभी राज्य राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की गाइड लाइन पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराएंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला देगा।

केंद्र ने किया फैसले का स्वागत 

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही कहा कि वह मंत्रालय की ओर से भी राज्यों को फौरन कार्रवाई करने को कहेगी।

4 अप्रैल को निर्देश 

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र को तीन माह में बफर जोन अधिसूचित करने को कहा था।

10 जुलाई को सख्ती 

राजस्थान ने बफर जोन अधिसूचित करने की सूचना दी। कोर्ट ने बाकी राज्यों को दो हफ्ते का और वक्त दिया। लेकिन चेतावनी के साथ।

क्यों दिया आदेश 

वन्य जीव अधिनियम-1972 के तहत सभी राज्यों को अपने यहां टाइगर रिजर्व का कोर जोन और बफर जोन तय कर इसकी अधिसूचना जारी करना अनिवार्य है।

होटल-रिसोर्ट मालिकों की नजरें 22 अगस्त पर 

कान्हा लॉज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नीलेश अग्रवाल का कहना है कि बड़े पार्कों में वैसे भी कोर एरिया के 25 फीसदी हिस्से में टूरिस्ट जा पाता है। बाकी एरिया बंद रहता है। नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की गाइड लाइन में साफ लिखा है कि कोर एरिया को धीरे-धीरे पर्यटन से अलग करना है, लेकिन सुप्रीमकोर्ट के आदेश से पर्यटन गतिविधियां एकदम से बंद हो जाएंगी।

मप्र के टाइगर रिजर्व 16 अक्टूबर से पर्यटन के लिए खुलते हैं। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का फिलहाल कोई प्रभाव फिलहाल मप्र पर नहीं है। अगली सुनवाई में मप्र अपना पक्ष रखेगा। -जेएस चौहान, फील्ड डायरेक्टर, कान्हा टाईगर रिजर्व (सरकार की ओर से केस में ओआईसी) 


क्या है मामला

आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने याचिका में आरोप लगाया है कि कई राज्य टाइगर रिजर्व के भीतर होटल, लॉज और पर्यटन परियोजनाओं को मंजूरी दे रहे हैं। इससे वन्य जीवों को जिंदगी खतरे में है।

क्‍या है कोर जोन 

कोर जोन टाइगर रिजर्व का वह इलाका जिसमें बाघ घूमता-फिरता और शिकार करता है। बफर जोन इसके इर्द-गिर्द का वह इलाका है, जिसमें बाघों के भोजन के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवर रहते हैं। कोर जोन के बाहर करीब 10 किमी तक का क्षेत्र बफर जोन हो सकता है।

मप्र में छह टाइगर रिजर्व, पांच का सीमांकन

कान्हा टाइगर रिजर्व : 60 रिसोर्ट, होटल
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व : 40 रिसोर्ट-लॉज
सतपुड़ा नेशनल पार्क : 200 होटल व रिसोर्ट
पन्ना नेशनल पार्क : ०4 होटल
संजय टाइगर रिजर्व : होटल नहीं
पेंच नेशनल पार्क : 30 होटल, रिसोर्ट

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