
सरिस्का को बाघों से आबाद करने की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। टाइगर रिजर्व में सोमवार को एक बाघ मृत मिला, जबकि दो सप्ताह से लापता बाघ का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। पांच साल के इस बाघ की मौत के कारणों की वजह स्पष्ट नहीं हो पाई है। आशंका जताई जा रही है कि उसे जहर दिया गया। सरिस्का में बाघों के खात्मे ने वन विभाग में हड़कंप मचा दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वन मंत्री ने सोमवार को सरिस्का जाकर आला अधिकारियों से स्थिति का जायजा लिया। मारा गया बाघ एसटी-1 है, जिसे वर्ष 2008 में सबसे पहले रणथंभौर से यहां लाया गया था। उधर, 13 दिन से लापता एसटी 4 बाघ की कोई खबर नहीं लग पाई है। मृत बाघ का शव रविवार को टहला रेंज में राजोगढ़ बीट में बेरीवाला नाला के पास मिला। प्रमुख वन सचिव वी.एस. सिंह का कहना है शव तीन-चार दिन पुराना होने से सड़ चुका था।
आपसी लड़ाई या किसी हथियार से इसके मारे जाने के निशान नहीं हैं। इसके लीवर से नमूने जांच के लिए लिए गए हैं, रिपोर्ट आने में एक-दो दिन लगेंगे। वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस बाघ के चार दिन से सिगनल और पगमार्क नहीं मिल रहे थे। रविवार सुबह एंटीना से सिगAल लेने की कोशिश की तो बीप बदलने की आवाजें आईं। करीब सात घंटे की तलाशी के बाद बाघ का शव बरामद हुआ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाघ के मरने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि मौत के कारणों की जांच कराई जा रही है और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। सरिस्का में बाघों की सुरक्षा के मामले पर उन्होंने एक टास्क फोर्स बनाने की बात भी कही है। बाघ विशेषज्ञ फतेह सिंह राठौड़ बाघों के मरने के लिए वन विभाग की लापरवाही के साथ-साथ सरिस्का टाईगर रिलोकेशन में बरती गई खामियों को जिम्मेदार मानते हैं। नेशनल टाईगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के डिप्टी आईजी एस.पी. यादव का कहना है कि अथॉरिटी की टीम सरिस्का पहुंच चुकी है। अथॉरिटी मामले की अलग से जांच करेगी।
नहीं मानी टॉस्क फोर्स की सिफारिशें
वर्ष 2005 में सरिस्का से बाघों के सफाए की खबरों के बाद एक स्टेट एम्पावर्ड कमेटी बनाई। जिसने सुझाव दिया था कि सरिस्का में नए बाघ लाने से पहले यहां के हालातों को सुधार जाए। सरिस्का को सुरक्षित बनाना तो दूर यहां कानूनी और गैर कानूनी खनन भी बदस्तूर जारी है। सरिस्का टाईगर रिजर्व के भीतर 28 गांव बसे हैं। वन सीमा और लैंड रिकॉर्ड का पुख्ता रिकॉर्ड नहीं होने से इस क्षेत्र में अवैध खनन पर लगाम कसनी मुश्किल है। बाघ संरक्षण अभियान से जुड़े धर्मेद्र खांडल कहते हैं कि सबसे बड़ा मुद्दा बाघ के हैबिटेट की गुणवत्ता का बिगड़ना है।
4 दिन में मारे गए 4 बाघ
पिछले एक महीने के दौरान देश के अलग अलग नेशनल पार्को में सात बाघ मरे हैं। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल देश के अलग अलग हिस्सों में 31 बाघों की मौत हो चुकी है। पिछले एक सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में एक- एक और असम व राजस्थान में दो- बाघ बाघ मरे हैं।
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